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पवन ओझा टेक : दुनिया की सबसे पॉप्युलर मेसेजिंग प्लैटफॉर्म WhatsApp फेक न्यूज फैलाने वालों के खिलाफ शख्त कदम उठाते हुए हर महीने लगभग 20 लाख वॉट्सऐप अकाउंट को डिलीट कर रहा है . दरअसल, कंपनी ने फेक न्यूज़ फैलने से रोकने के लिए एक मशीन लर्निंग सिस्टम तैयार किया है जिसके जरिए वह ऐसे अकाउंट की पहचान कर रही है जो एक साथ कई लोगों को मेसेज भेजते हैं, जिसे बल्क मेसेजिंग भी कहते है . साथ ही इस मशीन से उन नंबर्स की पहचान भी की जाती है, जो अलग-अलग अकाउंट्स बनाकर अपने कंपनी की नीतियों के खिलाफ काम कर रहे हैं.
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यह मशीन लर्निंग सिस्टम सिर्फ उन नंबर्स को डिटेक्ट करता है जो गलत और संदिग्ध कॉन्टेंट के लिए रिपोर्ट किए गए होते हैं . आपको बता दें की व्हाट्सएप में पहले रिपोर्ट कांटेक्ट का आप्शन नहीं आता था जो पिछले 1.5 साल से आ रहा है . यही वजह है की लोग अब फेक न्यूज़ फैलाने वाले कांटेक्ट का रिपोर्ट सीधे WhatsApp के टीम से कर सकते है . इस मशीन के जरिए उन यूजर्स को टारगेट किया जाता है जो स्पैम मेसेज भेजते हैं . ऐसे में जब ये यूजर्स उसी नंबर से दोबारा रजिस्ट्रेशन करने की कोशिश करते हैं तो यह सिस्टम उन्हें बैन भी कर देता है .
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बैन हुए इन 20 लाख अकाउंट में से 75 पर्सेंट अकाउंट ऐसे हैं जिन्हें बिना रिपोर्ट के भी बैन किया गया है, वहीं 25 फीसदी ऐसे हैं जिनकी पहचान रजिस्ट्रेशन के वक्त हुई जिसके बाद से उन्हें सिस्टम ने बैन कर दिया है .
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दरअसल, पिछले काफी वक्त से फेक कॉन्टेंट शेयर करने वालों की संख्या में काफी तेजी से बढ़ोतरी होती रही है, ऐसे में मैनुअली इनपर लगाम लगाना काफी मुश्किल साबित होता था . इसी वजह से मशीन लर्निंग सिस्टम तैयार किया गया, जिससे ऐसे अकाउंट्स की पहचान कर उन्हें बैन करना काफी आसान हो गया है .
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वॉट्सऐप का कहना है कि इस प्लैटफॉर्म में यूजर्स सिर्फ गलत खबरें ही नहीं, बल्कि ऐसे लिंक भी शेयर करते हैं जो यूजर्स की निजी जानकारी को भी चोरी करते है और इनसे यूजर के सभी निजी जानकारी का खतरा भी रहता है . एक बयान में कंपनी ने कहा,"'ऑटोमैटिक और बल्क मेसेजिंग हमारी नीतियों के खिलाफ है और हमारी प्राथमिकता इस तरह के दुरुपयोग को रोकना है ."
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